Thursday 5 October 2017

ऐनक...

बापू, हमने ज्यादा नहीं सिर्फ ऐनक बदला है,
आप जो दिखा रहे थे उस मार्ग पैर नहीं,
अब बदले हुए ऐनक के मार्ग पैर चल रहे है....

वो जादुई ऐनक है,
जो नहीं है, वो भी उसमेंसे दीखता है,
बंजर जमीं, हरीभरी नजर आती है,
भूखे, नंगे लोग, संतुष्ट एवम पुरे कपडोंमे नजर आते है,
हर कोई काम में लगा हुआ है,
बात करने की भी फुर्सत नहीं,
बेरोजगारी सिर्फ इतिहासोंमे नजर आती है...

बात, पहलेकी नहीं, अब की भी नहीं, भविष्यकी है,
बदलाव के लिए, कुछ विचारोंको कभी कभार छोड़ना पड़ता है, 
लेकिन आप रहोंगे जिन्दा हमेशा,
अपने सत्य के मार्गसे प्रेरित करते हुए,
भविष्यमें जब निति का मार्ग अनीति में बदलेगा,
तब विरोध ले लिए आपहीकी निति काम आएंगी,

बापू, उस जादुई ऐनक को पहननेके लिए सिर्फ और सिर्फ चाहिए,
...थोडीसी सहनशक्ति, कणखर वृत्ति और दूरदृष्टि....
क्योंकि, बदलाव के लिए, खुद बदलना जरुरी है.....


- सुरेश सायकर